दर्द मेरा तुम अब जानोगी कैसे ? मुझको अपना अब मानोगी कैसे ? तुम्हारे लिए तो मैं अब भी दर्द मेरा तुम अब जानोगी कैसे ? मुझको अपना अब मानोगी कैसे ? तुम्हारे लिए तो...
प्रकृति से प्रेम प्रकृति से प्रेम
अब पहले जैसा भी कुछ नहीं रहा बस खालीपन है आंखों में सबके और दिल में घोर सन्नाटे . अब पहले जैसा भी कुछ नहीं रहा बस खालीपन है आंखों में सबके और दिल में घोर सन...
दीवाने जिंदगी तुम बहुत ख़ास हो,, मुहब्बत की दुनियां की तुम मुमताज़ हो, दीवाने जिंदगी तुम बहुत ख़ास हो,, मुहब्बत की दुनियां की तुम मुमताज़ हो,
हैं बहुत याद आता है बचपन और याद आती है स्कूलों की छुट्टियां। हैं बहुत याद आता है बचपन और याद आती है स्कूलों की छुट्टियां।